रूमेटाइड अर्थराइटिस हमारे देश में हर छह में से एक व्यक्ति आर्थराइटिस से पीड़ित है। आर्थर्राइटिस की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाई जाती है। जब हम अर्थराइटिस या गठिया की बात करते हैं , तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में जोड़ों के दर्द के साथ अपने बुजुर्ग रिश्तेदारों की तस्वीर उभरने लगती है. लेकिन अर्थराइटिस निश्चित रूप से एक ‘ बुजुर्गों ’ की स्थिति नहीं है. वास्तव में , कुछ प्रकार के अर्थराइटिस हैं , जो युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों में दिखाई देते हैं और इसका एक उदाहरण रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) है. रूमेटाइड अर्थराइटिस एक सूजन संबंधित विकार है जिसका असर इंडिया में सबसे ज्यादा घुटने के जोड़ों पर पड़ता है। इस बीमारी से न सिर्फ जोड़ों पर असर पड़ता है बल्कि शरीर के तंत्र , त्वचा , आंखों , लंग्स , दिल और खून की धमनियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इस बीमारी का इलाज लंबे समय तक या जिंदगी भर चल सकता है। यह एक ऑटोइम्यून ( autoimmune ) बीमारी है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बाहरी दुश्मन को नुकसान पहुंचाने की बजाए , स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती